IVF Myths and Facts

ivf myths and facts given by dr manju khurana ivf specialist

नि:संतान दंपतियों के लिए आईवीएफ सबसे वैज्ञानिक और सुरक्षित तकनीक है। लेकिन इसको लेकर दुनियाभर में खासकर भारत में कई तरह के मिथक (myths) प्रचलित हैं। वास्तव में, उनमें से अधिकांश इन विधियों के बारे में पर्याप्त जानकारी की कमी के कारण होती हैं। इस तरह की गलत धारणाओं को दूर करने से समाज में IVF की प्रक्रियाओं के बारे में फैली गलतफहमियों को दूर करने में भी मदद मिलेगी।

इस संबंध में जो सबसे बड़ा सवाल अक्सर पूछा जाता है, वह यही है कि क्या आईवीएफ के जरिए पैदा हुआ बेबी नॉर्मल होता है? 

यह सवाल इसलिए उठता है क्योंकि इसमें अंडों के फर्टिलाइजेशन (fertilization) की प्रक्रिया सामान्य नहीं होती। इसमें अंडों को लैब में फर्टिलाइज किया जाता है। फिर 2 से 5 दिन के भ्रूण (embryo) को गर्भाशय (uterus) में ट्रांसफर किया जाता है। 

भले ही भ्रूण को लैब में तैयार किया जाता है, लेकिन भ्रूण का पूरा विकास मां के गर्भ (womb) में होता है। भ्रूण का विकास उसी तरह होता है, जैसे एक नॉर्मल प्रेग्नेंसी में होता है। इसलिए आईवीएफ के जरिए गर्भवती हुई महिला को पूरा वही अनुभव होता है, जो एक नॉर्मल प्रेग्नेंसी में होता है। बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास उसी तरह होता है, जैसा प्राकृतिक प्रेग्नेंसी में बच्चे का होता है। बच्चे का जन्म भी बिल्कुल नैचुरल तरीके से होता है। इसलिए यह धारणा पूरी तरह से गलत है कि आईवीएफ बेबी नॉर्मल नहीं होते। ये बेबी पूरी तरह से नॉर्मल होते हैं।   

आईवीएफ को लेकर कुछ अन्य मिथक भी हैं। जिनका उल्लेख IVF विशेषज्ञ डॉ. मंजू खुराना ने किया है:

IVF के बारे में Myths 

फैक्ट- कई लोगों का यह मानना है कि आईवीएफ एक आर्टिफिशियल प्रोसेस है। हालांकि, यह पूरी तरह सच नहीं है। दरअसल, आईवीएफ विज्ञान और तकनीक की मदद से प्राकृतिक गर्भावस्था की प्रक्रिया में सहायता करता है। बाहरी वातावरण में इसके शुरुआती चरणों को करने के बाद यह प्रक्रिया प्राकृतिक तरीके से कपल को कंसीव करने में मदद करती है।

फैक्ट – IVF वर्तमान में उपलब्ध कई सहायक प्रजनन विधियों (assisted reproductive technology) में से एक है। हिसार में गोबिंद फर्टिलिटी और IVF सेंटर की डॉ. मंजू खुराना के अनुसार, कई वैकल्पिक तकनीकें निःसंतान को गर्भवती होने में मदद कर सकती हैं, जैसे कि दवा के साथ ओव्यूलेशन इंडक्शन (OI), अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (IUI), और अन्य।

फैक्ट – 35 वर्ष से कम आयु के पति-पत्नी के लिए, यदि दो भ्रूण transfer किए जाते हैं, तो आईवीएफ की सफलता दर लगभग 40-50% है। तीन आईवीएफ cycles की total सफलता दर 75-80% तक पहुँच सकती है। हिसार में आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. मंजू खुराना के अनुसार आईवीएफ की सफलता दर आयु वर्ग, infertility का कारण और प्राकृतिक और साथ ही हार्मोनल विकारों सहित कारकों पर भी निर्भर करती है।

फैक्ट – आईवीएफ गर्भावस्था के परिणामस्वरूप असामान्य बच्चे के जन्म की बहुत कम संभावना है। डॉ. मंजू खुराना ने इस बात पर प्रकाश डाला कि असामान्य बच्चे का जोखिम unexpected है और आईवीएफ बच्चे normal fertilization चिल्ड्रन से अलग नहीं हैं।

फैक्ट – आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. मंजू खुराना के अनुसार यह आईवीएफ से जुड़ा एक प्रचलित मिथक है। कई लोगों का ऐसा मनाना है कि आईवीएफ के दौरान कई भ्रूणों के ट्रांसफर होने के कारण जुड़वां या तीन बच्चों की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि, यह सच नहीं है। इन दिनों सिंगल एंब्रियो ट्रांसफर ने एक से अधिक भ्रूण ट्रांसफर के जोखिम को काफी कम कर दिया है। यदि आप केवल एक ही गर्भधारण चाहते हैं, और आपने जुड़वां गर्भधारण किया है, तो भ्रूण में कमी की जा सकती है।

फैक्ट – क्लिनिक में आमतौर पर अंडे एकत्र करने की प्रक्रिया के दौरान कुछ घंटों के लिए रुकना होता है। डॉक्टर के अनुसार, रोगी को केवल 4-6 घंटे के लिए भर्ती किया जाता है।

फैक्ट – एक महिला के मासिक धर्म के दौरान लगभग 400, 000 अंडे होते हैं। उनमें से केवल 400 की ही पूरे जीवनकाल में आवश्यकता होती है। उनमें से लगभग बीस हर महीने सक्रिय होते हैं, लेकिन उनमें से केवल एक या दो ही उस बिंदु तक Mature होते हैं जहां उन्हें ओव्यूलेशन के दौरान छोड़ा जाता है। लगभग अठारह से उन्नीस abnormal अंडे नष्ट हो जाते हैं। 

आईवीएफ में इन उत्कृष्ट अंडों के विकास को बनाए रखने की क्षमता है। जब एक महिला औसतन केवल 8-10 अंडे ही निकालती है, डॉक्टर उन्हें एस्पिरेट करते हैं और अंडाशय में भविष्य के लिए अभी भी कई अंडे होते हैं। डॉ. मंजू खुराना के अनुसार, यदि कोई दाता अंडे दान करता है, तो उसके अंडाशय में भविष्य के लिए अंडे होते हैं।

फैक्ट –  आईवीएफ में भ्रूण को तैयार केवल बाहर किया जाता है। इसका विकास उसी तरह गर्भाशय में होता है, जैसा कि सामान्य प्रेग्नेंसी में होता है। इसलिए इसमें सिजेरियन की उतनी ही संभावना होती है, जितनी कि नॉमल प्रेग्नेंसी में होती है। 

फैक्ट – अधिकांश अध्ययनों में आईवीएफ रोगियों में कैंसर में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं पाई गई है। डॉ. का कहना है कि मरीज़ों को व्यापक चिकित्सा इतिहास (medical history) मूल्यांकन से गुज़रना चाहिए और किसी भी प्रजनन परीक्षण या उपचार शुरू करने से पहले मैमोग्राम और पैप स्मीयर सहित सभी मानक स्वास्थ्य परीक्षाओं से गुज़रना चाहिए। हम सलाह देते हैं कि अपने मेडिकल इतिहास के बारे में किसी भी चिंता को अपने REI के साथ discuss करें।

फैक्ट – महिला की उम्र, उसके अंडों और शुक्राणुओं की गुणवत्ता और final embryo सभी इस बात को प्रभावित करते हैं कि IVF कितना सफल होगा। implantation  की संभावना और महिला के शरीर की गर्भधारण करने की सामान्य शारीरिक तैयारी ट्यूबल structure और गर्भाशय की स्थिति से निर्धारित होती है। लगभग 40% जोड़े पहले प्रयास में ही गर्भधारण कर लेते हैं।

फैक्ट – यह सबसे आम भ्रम है जिसे आपको तुरंत दूर कर देना चाहिए। बहुत कम महिलाओं ने थेरेपी के दौरान किसी भी तरह की असुविधा का अनुभव करने की सूचना दी है। सामान्य एनेस्थीसिया के तहत, पिक-अप और embryo transfer में लगभग 15 मिनट लगते हैं। मरीज 4-5 घंटे के बाद जा सकते हैं और अगले दिन नियमित गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकते हैं। महिलाओं के बीच एक गलत धारणा है कि IVF इंजेक्शन दर्दनाक होते हैं, लेकिन यह सच नहीं है। दर्द को मापना मुश्किल है क्योंकि हर कोई योनि कैथीटेराइजेशन, अल्ट्रासाउंड और इंजेक्शन जैसी प्रक्रियाओं के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रिया करता है। हालाँकि, आपको कोई अप्रत्याशित या गंभीर परेशानी नहीं होगी, और जो भी असुविधा होती है उसका इलाज किया जा सकता है।

फैक्ट – आईवीएफ केवल प्रेग्नेंट होने की प्रक्रिया है। अगर एक बार भ्रूण गर्भाशय में आ गया तो इसके बाद बच्चे का विकास उसी तरह होता है, जैसा सामान्य प्रेग्नेंसी में होता है। यानी डॉक्टर जो काम सामान्य प्रेग्नेंसी में करना अलाऊ करता है, वही काम प्रेग्नेंट महिला अपने डॉक्टर की सलाह से आईवीएफ से हुई प्रेग्नेंसी के दौरान भी कर सकती है। 

फैक्ट – कई लोगों का ऐसा मानना है कि सिर्फ बढ़ती उम्र के लोग भी इस प्रक्रिया का लाभ उठा सकते हैं। हालांकि, यह पूरी तरह सच नहीं हैं। आईवीएफ इनफर्टिलिटी से पीड़ित हर व्यक्ति के लिए एक विकल्प है। अक्सर इसका इस्तेमाल ऐसे कपल्क द्वारा किया जाता है, जो बढ़ती उम्र की चुनौतियों की वजह से प्राकृतिक रूप से कंसीव नहीं कर पाते हैं। हालांकि, ऐसे युवा कपल, जो इनफर्टिलिटी की वजह से पेरेंट्स नहीं बन पा रहे हैं, वह भी इसकी मदद ले सकते हैं।

फैक्ट – यह धारणा भी पूरी तरह से गलत है। इनफर्टिलिटी से जूझ रहे कपल्स के लिए आईवीएफ एक वरदान है। हालांकि, यह इसकी इस प्रक्रिया में कोई गारंटी नहीं है कि इसकी मदद से आप शत-प्रतिशत कंसीव करेंगे। इसके तहत गर्भधारण की संभावना विभिन्न कारकों जैसे उम्र, स्वास्थ्य, भ्रूण की गुणवत्ता आदि पर निर्भर करती हैं। इसमें सफलता की गारंटी नहीं दी जा सकती।

फैक्ट – आईवीएफ प्रोसेस में भी बायोलॉजिकल उम्र मायने रखती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार 35 वर्ष की उम्र के बाद फर्टिलिटी कम होती जाती है. महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ फर्टिलिटी कम होती जाती है। ऐसे में आईवीएफ प्रोसेस के लिए महिला की उम्र और हेल्थ मायने रखती है।

फैक्ट – अधिकतर लोग सोचते हैं कि आईवीएफ ट्रीटमेंट नेचर के खिलाफ है, लेकिन ये प्रोसेस निसंतान लोगों के लिए एक वरदान है. बच्चे को जन्म देना एक नेचुरल प्रोसेस है। आईवीएफ ट्रीटमेंट उन लोगों के लिए उम्मीद है जो नेचुरली कंसीव नही कर पाते हैं।

फैक्ट – सामान्य तरीके से हुई प्रेग्नेंसी में भी अबॉर्शन की संभावना 10 फीसदी तक होती है। आईवीएफ में भी अबार्शन की संभावना इतनी ही होती है, ज्यादा नहीं। आईवीएफ केवल फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया है। बाद में इसमें सब वही फॉलो होता है, जो नॉर्मल तरीके से प्रेग्नेंसी में होता है। 

फैक्ट :  इस तकनीक में अधिक उम्र की महिलाएं यहां तक कि मेनोपॉज के बाद भी महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं। मेनोपॉज वाली महिलाओं को इसके लिए डोनर अंडों की जरूरत पड़ती है। 

फैक्ट : हर महीने महिला की ओवरीज से 25 से 30 अंडे निकलते हैं। इनमें से फर्टिलाइजेशन के लिए केवल एक ही अंडा बड़ा होता है। बाकी सारे अंडे अपने आप खत्म हो जाते हैं। यह बड़ा अंडा भी अगर फर्टिलाइज नहीं होता है तो खत्म हो जाता है। आईवीएफ में ये सभी अंडे निकाल लिए जाते हैं। चूंकि ये वैसे भी खत्म होने हैं। इसलिए ऐसा बिल्कुल नहीं है कि अगर आईवीएफ के लिए अंडे निकाल लिए गए तो अगले महीने नहीं बनेंगे। ये अंडे अगले महीने फिर से बनेंगे। मेनोपॉज वाली धारणा भी गलत है। 

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